इंडिगो संकट पर पीएमओ का हस्तक्षेप, सरकार ने किराया सीमा लागू कर रिफंड आदेश दिए
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PMO ने इंडिगो संकट पर हस्तक्षेप किया, 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द होने के बाद एयरलाइन से तुरंत परिचालन सामान्य करने को कहा।
उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो को रविवार रात 8 बजे तक सभी लंबित रिफंड पूरा करने और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया। हवाई किरायों में अचानक बढ़ोतरी पर रोक लगाते हुए सरकार ने घरेलू इकोनॉमी क्लास उड़ानों पर किराया सीमा सख्ती से लागू कर दी।
दिल्ली/ इंडिगो एयरलाइन के लगातार बिगड़ते परिचालन संकट ने केंद्र सरकार को एक्शन लेने पर मजबूर कर दिया है। लगातार पाँच दिनों से उड़ानों में भारी पैमाने पर हो रहे व्यवधान, रद्दीकरण और यात्रियों की बढ़ती परेशानियों के बीच, शनिवार को स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को सीधा हस्तक्षेप करना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इंडिगो संकट पर विस्तृत जानकारी दी गई है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। इसी कारण, PMO ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स से सीधे संवाद किया और एयरलाइन पर जल्द से जल्द परिचालन सामान्य करने का दबाव बनाया।
इसी बीच, नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने भी इंडिगो के वरिष्ठ अधिकारियों को एक उच्चस्तरीय बैठक के लिए तलब किया, ताकि स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्काल राहत कदम लागू किए जा सकें। मंत्रालय ने सख्त निर्देश जारी करते हुए एयरलाइन को आदेश दिया कि रविवार शाम 8 बजे तक सभी प्रभावित यात्रियों के रिफंड प्रोसेस पूरे किए जाएँ। रद्द या देरी से प्रभावित हजारों यात्रियों के लंबित रिफंड को सरकार ने बेहद प्राथमिकता का मामला बताया है।
साथ ही, मंत्रालय ने हाल के दिनों में बढ़ रहे हवाई किराए पर भी सख्ती दिखाई है। अचानक बढ़ी टिकट कीमतों पर अंकुश लगाते हुए घरेलू इकोनॉमी क्लास हवाई किरायों पर सीमाएँ लागू कर दी गईं, ताकि संकट की स्थिति में एयरलाइनों द्वारा अत्यधिक किराया वसूलने पर रोक लग सके। इससे यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर उन रूटों पर जहाँ उड़ानें लगातार रद्द होने के कारण किराया अचानक कई गुना बढ़ गया था।
हालाँकि शनिवार को इंडिगो के परिचालन में थोड़ी स्थिरता के संकेत दिखाई दिए, फिर भी संकट पूरी तरह टला नहीं है। सरकार ने साफ कर दिया है कि जब तक एयरलाइन सामान्य स्थिति बहाल नहीं करती और सभी यात्रियों को रिफंड व सहायता प्रदान नहीं करती, तब तक कड़े कदम जारी रहेंगे। मौजूदा परिस्थितियाँ न केवल एयरलाइन के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय विमानन क्षेत्र में नियमन और यात्री अधिकारों की मजबूती पर भी नया फोकस ले आई हैं।